Saturday, July 10, 2010

भ्रष्टाचार मैं आकंठ डूबी भारतीय रेलवे ने अपनी गलती पे पर्दा डालने के लिए तत्काल सेवा मैं धांधली के लिए दोषी ठहराया आई आर सी टी सी अधिकृत अजेंट्स को


भारतीय रेलवे ने डाला अपनी गलती पर पर्दा और दोषी ठराया आई आर सी टी सी अधिकृत अजेंट्स को

यह तो सब को मालूम है की सीजन के समय आई आर सी टी सी की साईट से तत्काल सेवा का टिकेट बुक करना लोहे के चने चबाने के समान है, क्या आम जनता क्या अधिकृत एजेंट सब परेशान क्योकि आई आर सी टी सी साईट तत्काल खुलने के समय ही बंद हो जाती जिसकी वजह भी मामूली सी है की सर्वर की क्षमता से कही जायदा लोगो द्वारा एक साथ बुकिंग के लिए कोशिश करना जिस वजह से सुबह साईट ठप्प हो जाती कोई विरला ही किस्मत वाला आई आर सी टी सी की साईट से टिकेट बुक कर पता था

जब की स्टेशनों की टिकेट खिडकियों पर अनधिकृत दलालों का अघोषित कब्ज़ा रहता था जो की बुकिंग क्लर्क के साथ साठ गाठ कर के तत्काल सेवा के टिकेट हासिल कर लेते थे अवेध रूप से

जब की परेशान तो होता था आम आदमी अब रेलवे ने अपनी खिडकियों की दशा मैं सुधार न करके सारा दोष आरोपित कर दिया आई आर सी टी सी अधिकृत अजेंट्स की और अब इन्हें तत्काल सेवा का टिकेट बुक न करने देने की कार्यवाही की जा रही है जोकि सरासर गलत है

यह सिर्फ आम जनता का ध्यान असली मुद्दे से हटाने जैसा है और इस कदम से आम जनता की परेशानी और भी बढेगी क्योकि टिकेट खिड़की पर अवैध कब्ज़ा जमाये लोग अब इस कदम का नाजायज फायदा लेंगे और जनता की परेशानी और भी बढेगी

होना तो यह चाहिए था की रेलवे इस दिशा मैं अपनी टिकेट खिडकियों पर एक अभियान चला कर आम आदमी को टिकेट दिलवाने की कोशिश करती क्योकि आम आदमी के लिए टिकेट खिड़की से तत्काल टिकेट बनवा पाना एक बुरा सपने जैसा ही है जबकि इन्होने हल्ला बोल दिया आई आर सी टी सी अधिकृत अजेंट्स पर

जबकि आई आर सी टी सी की साईट अजेंट्स और आम जनता दोनों के लिए के लिए तत्काल बुकिंग के समय और पूरा समय एक सामान कार्य करती है अगर आम जनता को साईट से बुकिंग करने मैं कोई परेशानी होती है तो वोही परेशानी अजेंट्स को भी होती है जबकि आम जनता मैं यह वहम है की आई आर सी टी सी अजेंट्स के पास बुकिंग करने के लिए कोई अलग साईट या सर्वर होता है जिस से बुकिंग हो जाती है जबकि यह तथ्य पूर्ण से गलत जानकारी पर आधारित है

तत्काल की बुकिंग करने के लिए कोई आसान रास्ता नहीं होता अगर कोई एजेंट कुछ टिकेट बना भी पता है तो इस के पीछे उसकी लम्बे समय की कोशिश है और यह एक तरह से रोजाना प्रक्टिस करने से ही संभव हो पता है यानि की तत्काल को साधने मैं किसी भी एजेंट को लम्बा समय लगता है हर कोई एजेंट भी तत्काल बुकिंग नहीं कर पाने मैं सफल नहीं होता

मेरे विचार के अनुसार रेलवे अपनी गलती छुपा कर अधिकृत अजेंट्स पर दोषारोपण कर रहा है लेकिन इस कदम से आम आदमी को फायदा मिलने के बजाय उल्टा नुक्सान ही होगा

बाकि तो आने वाला समय ही बताएगा

आगे आगे देखिये होता है क्या


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