Friday, August 17, 2012

सुलगता भारत

कल ही हमने देश की आजादी का जश्न मनाया लेकिन वाकई क्या इस समय हम लोग आजाद है ?
आज देश गुलाम है सम्प्रदायिक मानसिकता का जो देश के टुकड़े करने पर तुली हुयी है और हम लोग इस के खिलाफ आवाज तक नहीं निकाल रहे अगर यही हालात रहे तो देश टुकडो में बंट जायेगा  
आज मेरा मन क्षुब्ध है देश के मोजूदा हालात से जिसमे भारत के नागरिको के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है और सरकार चुप चाप देख रही है 
देश के सविधान के अनुसार देश के हर नागरिक को देश के किसी भी कोने में रह कर अपना जीवन यापन करने का अधिकार प्राप्त है लेकिन कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग आज इस मौलिक अधिकार का हनन करने पर तुले हुए है और इस सबको सरकार का मूक समर्थन प्राप्त है 
मूक समर्थन इस लिए की अगर आप किसी गलत चीज के विरूद्ध नहीं और उसके खिलाफ कुछ नहीं कहते है या तटस्थ रहते है तो एक प्रकार से आप उस चीज का मूक रूप से समर्थन ही कर रहे है 
देश में आज कुछ लोग माहोल खराब करने पर तुले हुए है और देश को टुकडो में बाँटने की साजिश रची जा रही है और कुछ खास प्रान्त के लोगो को निशाना बनाया जा रहा है जो अपनी आजीविका कमाने के लिए या पढाई के लिए दुसरे प्रान्त में है 
महाराष्ट्र और कर्नाटक में पूर्वोत्तर के निवासियों को धमकाया जा रहा है और उन पर हमले की अफवाहे फैलाई जा रही है और उन्हें राज्य छोड़ कर वापिस जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है 
कुछ समय पहले इस प्रकार की हिंसक घटनाये महाराष्ट्र से शुरू हुयी थी जब मनसे का गठन राज ठाकरे के नेत्र्तव में हुआ और इस नवनिर्मित राजनितिक दल ने लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए मराठी अस्मिता के नाम पर गरीब उत्तर प्रदेश और बिहार वासियों पर हिंसक हमले शुरू किये यह कहते हुए की इन दुसरे प्रान्त के लोगो को वजह से महाराष्ट्र के लोगो के अधिकारों का हनन हो रहा है जब की यह टुच्चा राजनितिक दल खुद सविधान के मौलिक अधिकारों के हनन में लगा हुआ था और तब न तो राज्य सरकार और न केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को तवज्जो दी और उस समय भी उत्तर भारतीयों का बहुत बड़ी संख्या में वापिस पलायन हुआ था 
आज यही स्थिति देश के अन्य राज्यों में भी पनपती जा रही है इन अफवाहों का दोष मढ़ा जा रहा है सोशल नेट्वर्किंग साईटो फेसबुक और ट्विट्टर इत्यादि पर 
आज संसद में समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने सोशल नेटवर्किंग साईटो और बल्क एसएम्एस सेवायो पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की बात कही और सरकार ने आनन फानन में बल्क एसएम्एस सेवायो पर आगामी १५ दिनों तक प्रतिबंध लगा दिया और गाहे बगाहे सरकार सोशल नेट्वोर्किंग पर भी लगाम लगाने की तैयारी अपने राजनितिक फायदे के लिए कर रही है 
प्रतिबन्ध के लिए बहाना यह दिया जा रहा है की इन सब का इस्तेमाल अफवाहे फ़ैलाने वाले कर रहे है जब की सरकार इन साईटो पर अपने नकारात्मक प्रचार से डरी हुयी है 
लेकिन अगर सरकार का सोचना सही है टो फिर सब से पहले समाचार चेनलो पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया जाना चाहिए क्योकि हमारे देश के समाचार चेनल समाचार कम सनसनी ज्यादा परोसते है और किसी भी चीज  के नकारात्मक विचारो को मुख्य मुद्दे की तरह प्रस्तुत करते है 
मेरी नजर में इन अफवाहों को फ़ैलाने में यह सब टीआरपी के भूखे भेड़िये ज्यादा आगे है 
लेकिन इस वक्त सब से जरुरी यह है की सरकार अपने राजनितिक फायदों को छोड़ देश की अखंडता और समप्रभुता  लिए काम  करे और सुलगते भारत को टुकडो में बटने से बचाए वरना अगर यही हालात रहे तो हमें देश के एक राज्य से दुसरे राज्य में जाने के लिए वीजा लेना पड़ेगा 
जरा सोचिये आप अखंड भारत देखना चाहते है या टुकड़े टुकड़े हुआ भारत 

Saturday, August 4, 2012

फेसबुक और अन्धविशवास

वैसे तो हम भारतीय लोग बहुतेरे अन्धविश्वासी होते है और हम लोगो में कई अन्धविश्वास प्रचलित है जिसमे की बिल्ली रास्ता काट जाये तो उस रास्ते से ना जाना या फिर छींक आने  पर थोड़ी देर रुक जाना प्रमुख है लेकिन यह तो बस उदाहरण भर है मुख्य सूची तो कही लम्बी है 
समय के साथ साथ इस अन्धविश्वास का रूप भी काफी बदल गया है और यह समय पाकर हम लोगो के साथ आधुनिक हो गया है और नये रूप में हम लोगो के भीतर मौजूद है 
मैं आप लोगो का ध्यान आकर्षित करना चाहता हु फेसबुक एवं अन्य सोशल नेटवर्किंग साईट पर आधुनिक युग के अन्धविशवास की जिसमे जाल में अपने आप को तथाकथित आधुनिक मानने वाले युवा भी फसे हुए है 
मैं जिस अंधविश्वास की बात कर रहा हु वह है तो काफी पुराना लेकिन समय पाकर बस इसका स्वरुप बदल गया और इसने आज को युवा को अपने शिकंजे में जकड लिया है 
फेसबुक और अन्य सोशल नेट्वोर्किंग साईट पर आपको इस प्रकार की अन्धविश्वासी पोस्ट बहुत सी मिल जाएगी जिसमे किसी देवी या देवता की फोटो पोस्ट कर इसे अधिक से अधिक शेयर करने की अपील की जाती है और कहा जाता है की जो ऐसा करेगा उसे जल्द ही कोई शुभ सूचना मिलेगी और इस अपील पर ध्यान न देने की दशा में आपको नुक्सान होने की बात कही जाती है 
बस फिर क्या लोगो में इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की होड़ लग जाती है 
पहले मैं भी इस प्रकार के फोटो को कभी कभार शेयर कर दिया करता था लेकिन फिर मेरी नजर एक ऐसी पोस्ट पर पड़ी जिसने मेरा सोचने का नजरिया बदल दिया यह पोस्ट उस अन्धविशवास भरी पोस्ट के विरुद्ध में लिखी गयी थी जिसमे एक ऐसी फोटो पोस्ट की गयी थी जिसमे बादलो के बीच भगवान् शिव का अक्स दिखाई दे रहा था और यह कहा गया था की इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करे और जल्दी ही भगवान् शिव की कृपा से आपको कोई शुभ समाचार प्राप्त होगा इस पोस्ट के विरोध में इसी फोटो को दुसरे रूप में पेश किया गया था जिसमे भगवान् शिव की जगह विजय माल्या का अक्स दिखाई दे रहा था और व्यंग्य के रूप में लिखा था की इस पोस्ट को शेयर करने पर जल्दी ही विजय माल्या की कृपा आप पर बरसेगी और आप को सारा वर्ष शराब और बीयर की कोई कमी नहीं रहेगी और साथ ही लिखा था की इस प्रकार की कोई भी फोटो फोटोशोप पर आसानी से बनायी जा सकती है और हम बेवकूफ लोग यह सोचते ही नहीं 
उस दिन मैं इस पोस्ट को पड़ कर पेट पकड़ कर हँसा और यह निर्णय लिया की इस प्रकार की पोस्ट कभी शेयर नहीं करूँगा 
आज यह ब्लॉग आप सब को यही समझाने के लिए लिख रहा हु की जल्द से जल्द इस अन्धविशवास से बाहर निकले  और ईश्वर पर भरोसा रखे बस और फिर देखिये आप पर हर तरह की कृपा बरसेगी 


Friday, August 3, 2012

चेहरा बदलता आन्दोलन

आज अन्ना जी का अनशन समाप्त हुआ और उन्होंने राजनितिक दल बनाने की घोषणा भी कर दी और कहा की देश की राजनीति को नया विकल्प देने के लिए एक नया दल का गठन करेंगे 
उनके इस निर्णय से काफी हो हल्ला हो रहा है और बहुत से लोग इसे गलत तो बहुत से लोग इसे सही निर्णय करार दे रहे है 
मैंने अपने पिछले ही ब्लॉग में लिखा था की यह आन्दोलन दिशा से भटकता जा रहा है इसी कारणवश इसे पहले जैसा आपर जनसमर्थन नहीं मिल पा रहा है जिसकी अपेक्षा टीम अन्ना को थी और आखिर वही हुआ जिसका मुझे अंदेशा था अनशन समाप्त और आन्दोलन को नयी दिशा देने के लिए राजनितिक दल गठन करने का ऐलान हो गया 
बहुत से लोग कह रहे है की उन्हें अन्ना के इस निर्णय से झटका लगा है और वह महसूस कर रहे है की इस आन्दोलन के नाम पर देश की बेवकूफ बनाया गया 
आज मेरे एक दोस्त ने एक व्यंग्य लिखा था की शायद किसी ने अन्ना जी को अनिल कपूर अभिनीत नायक फिल्म दिखा दी और उसी का अन्ना जी पर असर हो गया जो उन्होंने राजनितिक दल के गठन का ऐलान कर दिया 
यह तो हुयी व्यंग्य की बात लेकिन इसी फिल्म में परेश रावल द्वारा  अभिनीत बंसल जी नामक पात्र ने एक चीज बहुत ही सही बोली थी की सब लोग कहते है राजनीति एक गटर है और हम लोग चाहते तो है की यह गटर साफ़ हो जाये लेकिन पहल कोई नहीं करता क्योकि गटर को साफ़ करने के लिए गटर में उतरना पड़ता है इसी प्रकार राजनीति रूपी गटर को साफ़ करने के लिए उसमे उतरना ही पड़ेगा मतलब सक्रिय राजनीति में आना ही पड़ेगा 
आप गटर के बाहर रह कर गटर की साफ़ सफाई के लिए किसी और को निर्देशित नहीं कर सकते यह हिम्मत तो आपको स्वयं उठानी होगी 
अन्ना राजनीति को सही रूप रंग देने के लिए स्वयं राजनीति दल  का गठन कर अपनी भूमिका निभाना चाहते है तो यह निर्णय काबिले तारीफ़ है 
अगर अन्ना सरकार को जन लोकपाल न लाने के लिए कोसते है और कहते है की सरकार उनकी नहीं सुनती और वह किसी राजनीतिक दल का साथ भी नहीं लेना चाहते तो स्वयं का राजनीतिक दल बना कर चुनाव लड़ने का फैसला बिलकुल सही है इस से उन्हें अपनी शक्ति का भी अंदाजा हो जायेगा और पता चल जायेगा की जनता क्या चाहती है 
यह तो हुयी अन्ना के इस निर्णय की बात लेकिन इस फैसले को आकार देने में क्या व्यवहारिक दिक्कते आ सकती है उस बार में चर्चा करना चाहूँगा 
अगर टीम अन्ना यह कहती है की वह लोग राजनितिक दल का गठन करेंगे और चुनाव प्रकिर्या में हिस्सा लेंगे तो कहना चाहूँगा की टीम अन्ना में जिन लोगो का नाम लिया जाता है उनकी गिनती करने के लिए भी उंगलियों की संख्या भी ज्यादा होगी तो फिर चुनाव में यह लोग  उम्मीदवार कहा से लायेंगे 
अगर लोकसभा चुनाव की बात की जाये तो पुरे देश में लोकसभा की ५४३ सीट है ऐसे में अगर मोजूदा टीम अन्ना अगर गिनती की चंद सीटें जीत भी ले तो इस से कोई बड़ा बदलाव संभव नहीं है तो चुनौती सब से पहले अन्ना  के सामने है उनकी कसौटी पर खरे उम्मीदवार चुनने की 
कहने को तो यह आसान सा लगता है दरअसल यही सब से मुश्किल है क्योकि टीम अन्ना को अपनी कसौटी पर खरे उतरते ऐसे उम्मीदवार चुनने होंगे जो अपने क्षेत्र में जाने पहचाने चेहरे हो क्योकि राजनीति में लोग किसी अपिरचित चेहरे को सिर्फ अन्ना के कहने पर वोट नहीं देने वाले 
कोई भी राजनीतिक दल का गठन करने के लिए और चुनाव लड़ने के लिए पैसे का होना सब से जरुरी है और यह पैसा कहा से आयेगा ?
टीम अन्ना के बारे में पहले से ही यह कहा जा रहा था की इसमें कई लोग सिर्फ अपनी राजनीतिक महत्व आकांशा  पूरी करने के लिए इस आन्दोलन से जुड़े है जो एक  प्रकार से इस निर्णय से सही साबित प्रतीत होगा और यही बात इनके सबसे ज्यादा खिलाफ जाएगी 
कुछ भी हो इस अन्य राजनीति दल का भविष्य तो हमें आने वाला समय ही बताएगा तब तक हम सबको इन्तेजार करना होगा